Loksabha Election 2024: पीलीभीत की जनता को वरुण गांधी का भावुक पत्र, आपकी सेवा करता रहूंगा, चाहे कोई भी कीमत चुकानी पड़े'


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स्टोरी हाइलाइट्स

टिकट काटे जाने के बाद बीजेपी नेता वरुण गांधी भावुक हो गए, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है..!!

इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। इसे लेकर वरुण गांधी ने पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए इस पर रिएक्शन दिया है। 

टिकट काटे जाने के बाद बीजेपी नेता वरुण गांधी भावुक हो गए। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है। पीलीभीत के लोगों के नाम लिKखे गए एक पत्र में वरुण गांधी ने लिखा है कि, मैं आपकी सेवा करता रहूंगा, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। इसके बाद वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता से कहा है कि पद के बिना भी मेरे दरवाजे आपके लिए खुले रहेंगे।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को पीलीभीत में भी मतदान होगा। बुधवार 27 मार्च को नामांकन का आखिरी दिन था। प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह भी साफ हो गया है कि वरुण गांधी पीलीभीत से निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। दरअसल, बीजेपी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद वरुण गांधी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।

वरुण गांधी ने पत्र की शुरुआत बेहद भावुक अंदाज में की। उन्होंने लिखा, 'आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादें मुझे द्रवित कर गई हैं। मुझे याद है कि एक तीन साल का बच्चा जो पहली बार 1983 में अपनी मां की उंगली पकड़कर पीलीभीत आया था, वह कैसे जानता था कि एक दिन यह भूमि उसकी कर्मभूमि बन जाएगी और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।

उन्होंने आगे लिखा, 'मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे कई वर्षों तक पीलीभीत के महान लोगों की सेवा करने का अवसर मिला। मुझे पीलीभीत से जो आदर्श, सादगी और दयालुता मिली, उसने न केवल एक सांसद के रूप में बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी मेरे पालन-पोषण और विकास में बहुत योगदान दिया।

वरुण गांधी ने पीलीभीत से सांसद बनने को अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया है। उन्होंने कहा, 'आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है और मैंने हमेशा आपकी उत्कृष्टता के लिए आवाज उठाई है। भले ही एक सांसद के रूप में मेरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन पीलीभीत से मेरा रिश्ता मेरी आखिरी सांस तक खत्म नहीं हो सकता।

उन्होंने आगे कहा कि एक सांसद के रूप में नहीं तो एक बेटे के रूप में, मैं जीवन भर आपकी सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे पहले की तरह आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे। मैं आम आदमी की आवाज उठाने के लिए राजनीति में आया हूं और आज मैं आपका आशीर्वाद चाहता हूं कि यह काम हमेशा जारी रहे, चाहे इसकी कीमत कुछ भी हो।

इस बार पीलीभीत से टिकट नहीं पाने वाले वरुण गांधी ने लोगों से कहा कि मेरे और पीलीभीत के बीच का रिश्ता प्यार और विश्वास का है, जो किसी भी राजनीतिक औचित्य से ऊपर है। मैं तुम्हारा था, मैं हूं और रहूंगा।

वरुण गांधी ने पहली बार 2009 में पीलीभीत से चुनाव लड़ा था। इससे पहले वह इस सीट पर अपनी मां मेनका गांधी के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे थे। साल 2014 में बीजेपी ने उन्हें सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया लेकिन 2019 के चुनाव में वह वापस पीलीभीत आ गये और सांसद बन गये। इस बार भी वह इसी सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनका टिकट रद्द कर जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बना दिया।